Vastu Tips for Puja Ghar me Mandir in Hindi घर में मंदिर कहाँ होना चाहिए ? वास्तु शास्त्र के अनुसार

 घर में मंदिर कहाँ होना चाहिए ? वास्तु शास्त्र के अनुसार 


घर का मंदिर एक पवित्र स्थान होता हैं, ज्यादातर घरों में मंदिर जरूर होता है, जहां नियमित रूप से धूप बत्ती और पूजा होती है। दरअसल पूजा स्थान घर का देवस्थान होता है। जहां से सकारात्मक ऊर्जा और ओर शान्ति का एहसास मिलता है। घर मे वास्तु के अनुसार हर जगह के लिए अलग दिशा बतायी गयी है। इसलिए आपका पूजा घर वास्तु के हिसाब से ऐसा होना चाहिए, जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बेहतर तरीके से कर पाए। वास्तु के मुताबिक घर में मंदिर स्थापित करने के लिए भी एक अलग दिशा होती है। इसके साथ ही कुछ ऐसे चीजें होती हैं जिनको पूजागृह में रखना शुभ नही माना जाता जो कई समस्याओं को उत्पन्न कर सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जानते हैं कि घर का मंदिर कहां होना चाहिए और इसके नियम क्या हैं



Vastu tips for Puja Ghar


घर में मंदिर है तो इन बातों का रखें ध्यान, तो नहीं होगा नुकसान

1. मंदिर का निर्माण हमेशा ऊँचाई पर करना चाहिए जो लगभग बैठने पर आपके ह्रदय तक आये। संगमरमर या लकड़ी से बने मंदिर उचित रहते है। 

2 . घर मे पूजा का कमरा अलग बनाना चाहिए।,यदि ये संभव न हो तो घर की उत्तर पूर्व दिशा में छोटी सी वेदी बनानी चाहिए यही स्थान मंदिर के लिए होना चाहिए।पूरब उगते सूरज ओर भगवान इन्द्र की दिशा है,अतः इस दिशा में पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पश्चिम दिशा में मुख करने से धन आकर्षित होता है। 

3. वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर मे भगवान की ठोस मूर्ति रखे ,मंदिर में खोखली मूर्ति न रखे।भगवान के मुख को फूल मालाओं से नही ढकना चाहिए। भगवान गणेश जी को लक्ष्मी जी के बाएं ओर स्थान देना चाहिए।और हनुमान जी की हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए।भगवान की मूर्ति के मुख एक दूसरे की तरफ नही होने चाहिए।

 4. घर मे दो शिवलिंग, तीन गणेश जी, दो शंख, तीन देवी प्रतिमा, ओर दो शालिग्राम की पूजा करने से गृह स्वामी को अशांति प्राप्त होती है। 

 5. वास्तु के अनुसार यदि आप शिवलिंग की घर मे स्थापना करना चाहते हैं तो उनके साथ शिव परिवार की मूर्ति भी रखना शुभ होता है।शिवलिंग को हमेशा रेशम के कपड़े के ऊपर रखना चाहिए। 

6. वास्तु के अनुसार घर मे शंखनाद से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जहां शंख होता है वह लक्ष्मी का वास होता हैं, परंतु शंख को कभी भी ज़मीन पर नही रखना चाहिए। 

7. कलश के बिना पूजा अधूरी रहती है परंतु कुछ लोग मंदिर में कलश को ज़मीन पर रख देते है, ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होते है अतः कलश को पूजा थाली में ही रखना चाहिए। 

8. पूजा घर में पुराने हो चुके फूल माला, अगरबत्ती, या हवन की बची सामग्री जमा करके नही रखनी चाहिए,इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है।यह धनवृद्धि में भी बढ़ बनती है। 

9 .वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर कभी भी सीढ़ी, शौचालय, बाथरूम की दीवार से सटाकर नही बनाना चाहिए।

 10. पूजा घर में कभी भी खंडित मूर्ति या अपने पूर्वजों की तसवीर नही लगानी चाहिए। खंडित मूर्ति को बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। 

11 . पूजा घर मे छोटे से ताम्बे के लोटे में जल भरकर उसमे तुलसी के पत्ते डालकर हमेशा पूजा स्थल में रखना चाहिए, इसे आचमन कहते है। पूजा घर मे इन वास्तु शास्त्र के नियमों को अपनाकर घर मे सु समृद्धि के साथ साथ पॉजिटिव एनर्जी का भी संचार होता है।


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इस दिशा में बनवाएं घरों में मंदिर

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घरों में मंदिर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है और इस दिशा में ऊर्जा का भंडार होता है। ईशान कोण को देव दिशा भी कहते हैं। इसलिए देवताओं का घर यानी आपके घर का मंदिर इस दिशा में ही होना चाहिए। अगर ईशान कोण( उत्तर-पूर्व ) में घर में मंदिर बन पाना संभव ना हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए।

इस दिशा में होना चाहिए मंदिर का मुंह

घर का मंदिर बनाते समय केवल मंदिर की दिशा ही नहीं बल्कि अपनी दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए। जब हम भगवान की किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा कर रहे हों तब आपका मुंह पूर्व दिशा की और होना चाहिए। अगर पूर्व दिशा की ओर मुंह नहीं हो पा रहा है तो पश्चिम दिशा में होना भी शुभ माना जाता है। इन दोनों दिशा की तरफ पूजा करना वास्तु के हिसाब से उचित (सही ) माना गया है।

यहां नहीं होना चाहिए घरों में मंदिर

घर में मंदिर बनाते समय आपको इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि मंदिर किचन या बाथरूम के पास न हो और ना ही उससे सटा हो। यदि ऐसा होता है तो इसे वास्तु शास्त्र के अनुसार अनुकूल नहीं माना जाता है। वहीं बेडरूम में भी पूजा स्थल का होना शुभ नहीं माना जाता है, इससे पारिवारिक जीवन पर विपरीत प्रभाव होता है। पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम और तालमेल का अभाव होने लगता है।

इस जगह भूलकर भी न बनवाएं घरों में मंदिर

पूजा घर में भगवान की आरती हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ रखना चाहिए। साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि पूजा घर सीढियों के नीचे न हो। ऐसा पूजा स्थल घर में कई तरह की परेशानियों को लाता है। मानसिक तनाव और रोग से ऐसे में घर के लोग परेशान ही रहते हैं। इस वास्तु दोष के कारण कुछ लोगों को कर्ज से भी परेशान होते देखा गया है।


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इतनी ऊंचाई पर रखें घर का मंदिर

कई घरों में मंदिर जमीन पर होता है, यह सही नहीं है। माना जाता है कि ऐसा लोग बैठकर पूजा करने के लिए करते हैं। जबकि वास्तु के अनुसार मंदिर की ऊंचाई इतनी हो कि भगवान के पैर और आपका हृदय का स्तर बराबर हो। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि भगवान का स्थान सर्वोच्च होना चाहिए। हम उनके मंदिर को या उनको किसी भी तरह अपने से नीचे आसन नहीं दे सकते।

घरों के मंदिर में इस तरह रखें धार्मिक पुस्तकें

पूजा स्थल में यदि धार्मिक पुस्तकें हैं तो उन्हें लाल कपड़े से ढककर ही रखें। वहीं पूजा स्थल पर लाल कपड़े का पर्दा आपको लगाना चाहिए और जब आप पूजा नहीं कर रहे हैं तब पूजा स्थल ढका होना चाहिए। साथ ही पूजा करते समय आसन बिछाकर बैठें और पूजा समाप्त होने पर आसन उठाकर सही स्थान पर रखें।


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घरों के मंदिर में ऐसी चीजें न रखें

सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि पूजा घर में गैर जरूरी चीजे और मृतक सदस्यों की तस्वीर ना रखें। पूजा घर को हमेशा साफ रखें और नियमित पोछा लगाएं। बहुत से लोग घर का राशन आदि और दूसरी चीजें भी पूजा घर में ही रख लेते हैं। इन्हें समझना होगा कि पूजा घर स्टोर रूम नहीं होता है, इसे भारी ना होने दें। पूजा घर भार मुक्त रहेगा तो मन उन्मुक्त रहेगा और सकारात्मकता आपके अंदर प्रवेश करेगी।

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