हिन्दू धर्म के पूजा पाठ एवम महत्वपूर्ण कार्य

 हिन्दू धर्म न केवल एक धर्म है अपितु यह मनुष्य को अहिंसा एवम शान्ति के मार्ग पर ले जाने का रास्ता है साथ ही यह जीवो पर दया की भावना तथा असहाय की सहायता, निर्बल व  बुजुर्गों की सेवा भी करना सिखाता है ।

हर धर्म के अपने अलग अलग नियम है  हिन्दू धर्म मे अनेको नियम है ,जो मनुष्य को जीवन जीने का ओर सत्कर्म  करने का मार्ग बताते है,क्योंकि धर्म कोई भी क्यो न हो मनुष्य  के कर्म सर्वोपरि होते है।आजकल टीवी , में फिल्मों  ओर दुकानदारो ने अपने मतलब के लिए अनेक ऐसे कार्य बता रखे है जो हिन्दू धर्म की सम्पूर्ण नियम नही बताते केवल दिखावा मात्र करते है। हिंदू धर्म की पूजा करने के कई तरीके ऐसे  देखने को मिलते है जो सिर्फ देखने मे ही अच्छे लगते है,परन्तु उनका शास्त्रो में कोई उल्लेख नहीं मिलता।  हिंदू धर्म मे कई ऐसे नियम है जिनका पालन अवश्य करना चाहिए।

पूजा अर्चना

पूजा अर्चना -Sabkuchinhindi


 हिंदू धर्म में पूजा पाठ नियमित रूप से नियमित समय पर प्रातः  और  संध्या में करनी चाहिए।पूजा करने वाले व्यक्ति को सदैव शुद्ध तन ओर मन व सिर ढककर पूजा करनी चाहिए, सूर्योदय से पूर्व ओर संध्या में अंधेरा होने से पहले मंदिर में दीपक लगाना चाहिए।पूजा सदैव शुद्ध आसान और बैठकर करनी  चाहिए मंदिर में कभी भी अंधेरा न रखें। हमेशा भगवान को प्रणाम दोनों हाथों से चरण स्पर्श करके  करने चाहिए। कभी भी पूजा के समय एक दीपक से दूसरे दीपक को नही जलाना चाहिए। पूजा करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है एवम बुरी शक्तियों का नाश होता है।



तुलसी पूजा 

तुलसी पूजा -sabkuchinhindi


 हिंदू धर्म मे प्रत्येक घर मे तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिये कार्तिक महीने में तुलसी लगाना बेहद शुभ होता है,गुरवार को भी तुलसी का पौधा लगाना फलदायी होता है । मंदिर में पूजा के साथ साथ तुलसी पूजा भी करनी चाहिए, इससे घर मे सुख शांन्ति आती है।जब भी तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं तब उसकी परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए ये बडा ही शुभ फलदायी होता है। कहते है यदि घर में दरिद्रता आती है तो इससे पहले घर की तुलसी सूख जाती है ,तुलसी के बिना विष्णु भगवान की पूजा भी अधूरी मानी गई है।

तुलसी जी को कभी भी रविवार को जल नही चढ़ाना चाहिए और न ही शाम के समय तुलसी की पूजा करते हुए उन्हें स्पर्श करना चाहिए।तुलसी में दीपक जलाते समय अक्षत (चावल) का आसन देना चाहिए ।



दान का विधान

दान का विधान-sabkuchinhindi


दान पुण्य करना भी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण विधान है,कहते है यदि किसी गरीब और जरूरतमन्द को  बिना कुछ पाने की इच्छा से दान करते है तो वह किया हुआ दान बड़ा ही पुण्य फल देता है

शास्त्रों(गीता) में भी लिखा है, कर्म करो फल की इच्छा मत करो।यदि हम निःस्वार्थ भाव से दान करते है तो उसका फल हमे कभी इस कभी अवश्य मिलता है। पशु -पक्षियों,जीवों, कुत्तों, ओर चींटियों आदि को किया जाने वाला अन्न ओर जल का दान हमें अपने कर्मों को सुधारने का अवसर देता है

हिन्दू धर्म मे गौ दान,अन्न दान, विद्या दान, कन्या दान आदि का बहुत महत्व है।दान करने से व्यक्ति के भीतर त्याग ,बलिदान ओर परोपकार की भावना  जाग्रत होती है।



व्रत  और त्यौहार

व्रत  और त्यौहार


उपवास करना भी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण  तरीका है जो आपको आपके ईश्वर के समीप लाता है। व्रत आपके तन और मन दोनों की शुद्धि करता है।श्रावण मास ,गणेश चतुर्थी, एकादशी, पूर्णिमा, शिव चौदस, मंगला गौरी व्रत वट सावित्री व्रत छट पूजा आदि ऐसे अनेक व्रत है, जिनको शुद्ध तन और मन से पूरा करने से आध्यात्मिक शान्ति के साथ साथ जीवन में समृद्धि और खुशहाली भी आती है।

इसकी अतिरिक्त प्रत्येक ऋतु ओर धर्म के अनुसार त्यौहार का भी विशेष महत्व है। मकर सक्रांति का हिंदू धर्म मे विशेष महत्व है, इस दिन दान धर्म और पूजा पाठ करने से सुर्य देव का विशेष आशीर्वाद मिलता है ।इसके साथ नवरात्रि ,शिवरात्रि, हनुमान जयंती, बसंत पंचमी आदि की पूजा भी विशेष फलदायी है।


श्राद्धकर्म

श्राद्धकर्म


वेदों के अनुसार हिंदू कार्यो में श्राद्ध कर्म का बहुत ही बड़ा महत्व है ऐसा कहा गया है जो व्यक्ति श्रद्धा से अपने पितरों का तर्पण  करता है वह पितृऋण ओर पितृदोष से मुक्त हो जाता है तथा उसके जीवन में कठिनाई कम हो जाती है ओर उसे पितरों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता हैं। श्राद्ध के साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति को अमावस्या के दिन अपने पितरों को जरूर याद करना चाहिए एवं उनके नाम का जल उस दिन सूर्य देव को अवश्य अर्पित करे। 

ऐसा करने से हमारे पितर अपने परलौकिक जीवन मे जाने के बाद भी किसी न किसी रूप में हमसे जुड़े रहते हैओर हमे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता रहता हैं। 


      इन कार्यों के अतिरिक्त प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म का प्रचार प्रसार भी अवश्य करना चाहिए।ऐसा करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली अनेक कठिनाईयो के लिये मानसिक रूप से एवम सकरात्मक शक्ति के साथ खड़ा रहता है क्योंकि उसे ईश्वर और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त रहता हैं।


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